गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

पांचवा रास्‍ता..

समय बदलता है तो
बदल जाता है बहुत कुछ.....

ख़्याल उगते हैं तो
रच जाती है एक दुनिया.....।

यादों पर जमी हुई धूल की परतें साफ होने लगी हैं...
गिरहें खुलने लगी हैं......

नज़र आने लगी है एक पगडंडी सी
जो ले जाएगी उस मोड़ तक.....

जहां से शुरू होगा
कोई एक पांचवां रास्ता......।

अनुजा
02.09.13

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