मंगलवार, 1 नवंबर 2011

चाय और ख्‍वाब



एक कप चाय...
तुम और मैं...
वहीं वैसे ही...
टिकाए दीवार से पीठ....
कहते सुनते हुए....
अपनी-अपनी बात.....
और सुनते हुए खामोशी....
एक दूसरे की.....


एक ही ख्‍़वाब कई बार देखा है मैंने......।

अनुजा

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