- तस्लीमा बनाम नन्दीग्राम। ये राजनीति है, धर्म है या अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला अथवा तस्लीमा के बहाने नंदीग्राम पर से ध्यान हटाने की कोशिश ।
- क्या द्विखंडिता से विवादास्पद हिस्से निकाल देने का तस्लीमा का निर्णय सही है।
गुरुवार, 6 दिसंबर 2007
चाक चौबन्द चौबारा.......
तस्लीमा नसरीन का मुद्दा अभी ठंडा नहीं पड़ा है। हां उसकी आंच कुछ कम हो गयी है। शायद तस्लीमा के आत्मसमर्पण या यों कहें समझौते की वजह से। मगर नंदीग्राम की आग अभी भी झुलसा रही है। यहां दो सवाल हैं जो आपके बीच चर्चा के लिए छोड़े जा रहे हैं, आपकी बेलाग टिप्पणी का इंतज़ार है.....
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